
“उफ्तत्सा” राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजकुमार यादव ने आज औद्योगिक और परिवहन क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की तुलना पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि वेदांता एल्युमिनियम के झारसुगुड़ा संयंत्र से निकलने वाला फ्लाई ऐश प्रदूषण राष्ट्रीय स्तर पर भारी व्यावसायिक वाहनों (ट्रक और ट्रेलर) के प्रदूषण के महत्वपूर्ण हिस्से की बराबरी करता है। इसके बावजूद, छोटे ट्रक मालिकों को प्रदूषण का मुख्य दोषी ठहराया जाता है, जो कि अनुचित और भेदभावपूर्ण है। यह प्रेस विज्ञप्ति राष्ट्रीय प्रदूषण के आंकड़ों को प्रतिशत के आधार पर शामिल करते हुए तथ्यात्मक तुलना प्रस्तुत करती है, ताकि इस असमानता को उजागर किया जा सके।
राष्ट्रीय प्रदूषण आंकड़े (प्रतिशत आधारित)
भारत में प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों का योगदान निम्नलिखित है (Statista, AQLI, और CSE की 2024-25 की रिपोर्ट्स के आधार पर):
वायु प्रदूषण (PM2.5): कुल PM2.5 उत्सर्जन में से 51% औद्योगिक गतिविधियों (कोयला आधारित संयंत्र, फ्लाई ऐश सहित), 27% वाहनों (जिनमें भारी वाहन 53% हिस्सा रखते हैं), 17% कृषि अवशेष जलाने, और 5-7% घरेलू खाना पकाने से आता है।
जल प्रदूषण: 70% जल प्रदूषण अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट (फ्लाई ऐश रिसाव सहित) से, 20% कृषि रनऑफ से, और 10% अन्य स्रोतों से।
CO2 उत्सर्जन: 2023 में भारत का कुल CO2 उत्सर्जन 2.83 बिलियन टन था, जिसमें 45% बिजली उत्पादन (कोयला संयंत्र), 30% उद्योग, 14% परिवहन (जिसमें HDV का हिस्सा ~10%), और 11% अन्य स्रोतों से।
वेदांता झारसुगुड़ा फ्लाई ऐश बनाम भारी वाहन प्रदूषण: तथ्यात्मक तुलना
फ्लाई ऐश प्रदूषण (वेदांता झारसुगुड़ा):
भारत में कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट्स सालाना 226 मिलियन टन फ्लाई ऐश उत्पन्न करते हैं (CEA, 2021-22)। झारसुगुड़ा संयंत्र (3615 MW) अकेले 8 मिलियन टन फ्लाई ऐश उत्पन्न करता है, जो राष्ट्रीय फ्लाई ऐश उत्पादन का 3.5% है (Vedanta Sustainability Report FY 2023-24)।
उपयोग दर 93% होने के बावजूद, 7% (लगभग 560,000 टन) अप्रबंधित फ्लाई ऐश पर्यावरण में फुगिटिव डस्ट और भारी धातुओं (आर्सेनिक, लेड) के रूप में फैलता है, जो PM2.5 और जल प्रदूषण में योगदान देता है।
झारसुगुड़ा से PM उत्सर्जन: 6,032 टन/वर्ष, जो राष्ट्रीय HDV PM उत्सर्जन (53,000 टन, 2021) का 11.4% है। NOx उत्सर्जन: 51,464 टन/वर्ष, जो राष्ट्रीय HDV NOx (1.6 मिलियन टन) का 3.2% है। SOx उत्सर्जन: 178,682 टन, जो ग्लोबल वार्मिंग और एसिड रेन में योगदान देता है।
भारी व्यावसायिक वाहनों (HDV) का प्रदूषण:
2021 में HDV से 53,000 टन PM2.5 उत्सर्जन, जो कुल वाहन PM का 53% और राष्ट्रीय PM2.5 का 14% (27% वाहन प्रदूषण का हिस्सा-मात्र”14.3% ही) है।
NOx: 1.6 मिलियन टन, कुल परिवहन NOx का 80% और राष्ट्रीय NOx का लगभग 20%।
CO2: 87 मिलियन टन (2020), कुल परिवहन CO2 का 70% और राष्ट्रीय CO2 का 10%।
क्षेत्रीय प्रभाव: उत्तरी भारत (इंडो-गैंगेटिक मैदान) में HDV प्रदूषण का प्रभाव अधिक है, जहां PM2.5 स्तर WHO दिशानिर्देश (5 μg/m³) से 11 गुना अधिक है।
तुलनात्मक विश्लेषण
मात्रा और प्रभाव: एक संयंत्र (झारसुगुड़ा) का PM उत्सर्जन राष्ट्रीय HDV PM का 11.4% है, जो दर्शाता है कि एकल औद्योगिक इकाई का स्थानीय प्रभाव लाखों वाहनों के राष्ट्रीय योगदान से तुलनीय है। फ्लाई ऐश का अप्रबंधित हिस्सा (560,000 टन) लंबे समय तक वायु, जल और मिट्टी को प्रदूषित करता है, जबकि HDV उत्सर्जन मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों तक सीमित है।
स्वास्थ्य प्रभाव: फ्लाई ऐश से भारी धातु रिसाव और PM2.5 श्वसन रोग, कैंसर और हृदय रोगों का कारण बनता है, जो HDV PM के प्रभावों के समान है। भारत में वायु प्रदूषण से 2 मिलियन से अधिक समयपूर्व मौतें होती हैं, जिनमें औद्योगिक और परिवहन स्रोत दोनों शामिल हैं।
नीतिगत भेदभाव: HDV मालिकों पर BS-VI मानक, डीजल मूल्य वृद्धि, और टोल लागत जैसे सख्त नियम लागू हैं, जबकि फ्लाई ऐश प्रबंधन में लापरवाही पर केवल जुर्माना लगता है (उदाहरण: झारसुगुड़ा पर 71.16 करोड़ रुपये, अप्रैल 2024)। यह छोटे ट्रक मालिकों के साथ अन्याय है।
डॉ. यादव ने कहा, “राष्ट्रीय प्रदूषण आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि औद्योगिक स्रोत, विशेष रूप से फ्लाई ऐश, वायु और जल प्रदूषण में बड़ा योगदान देते हैं, फिर भी ट्रक मालिकों को प्रदूषण का मुख्य दोषी ठहराया जाता है। यह छोटे परिवहनकर्ताओं के साथ भेदभाव है, जो पहले से ही आर्थिक दबाव में हैं। हम सरकार से मांग करते हैं कि औद्योगिक प्रदूषण पर सख्त नियम लागू हों और फ्लाई ऐश प्रबंधन के लिए पारदर्शी नीतियां बनें।