
नई दिल्ली, 27 अगस्त 2025 –” उफ्तत्सा “राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी), जो देशभर के ट्रक चालकों, मालिकों, परिवहन व्यवसाईयों और संबंधित हितधारकों का प्रतिनिधित्व करने वाला प्रमुख संगठन है, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए 50% के दोहरे टैरिफ के खिलाफ तीव्र विरोध दर्ज कराता है। यह टैरिफ, जो आज से प्रभावी हो गया है, भारतीय लौह एवं इस्पात उद्योग को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है, जिसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर ट्रक परिवहन क्षेत्र पर पड़ रहा है। विशेष रूप से उड़ीसा छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में निश्चित रूप से अपना प्रभाव छोड़ेगा l हम भारत सरकार से तत्काल कूटनीतिक हस्तक्षेप, घरेलू उद्योगों के लिए राहत पैकेज और प्रतिशोधी उपायों की मांग करते हैं ताकि इस वैश्विक व्यापार युद्ध से उत्पन्न चुनौतियों का डटकर सामना किया जा सके और लाखों संलग्न व्यापारियों के हितों की लड़ाई लड़ी जा सके एंव श्रमिकों के रोजगार की रक्षा हो।
अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय सामानों पर 50% का संचयी टैरिफ लागू किया है, जिसमें 25% का पूर्व टैरिफ और रूसी तेल खरीद के कारण 25% का अतिरिक्त दंडात्मक टैरिफ शामिल है जो अप्रत्याशित हैल
यह कदम भारतीय निर्यात क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा रहा है, जहां अमेरिका के लिए भारतीय लौह, इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों का निर्यात वित्त वर्ष 2025 में लगभग 4.56 अरब डॉलर का रहा है। इस टैरिफ के कारण भारतीय निर्यात में 20-30% की गिरावट की आशंका है, जिससे अर्थव्यवस्था की विकास दर 7% से घटकर 6% के करीब रह सकती है। इसके अलावा, अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता समाप्त हो रही है, क्योंकि अमेरिकी इस्पात कीमतें पहले से ही 984 डॉलर प्रति टन से ऊपर हैं और नए टैरिफ से ये 1,180 डॉलर तक पहुंच सकती हैं।
इस टैरिफ का प्रभाव भारतीय लौह उद्योग पर बहुआयामी है। छोटी और मध्यम फाउंड्रीज में सामूहिक छंटनी और बंदी की स्थिति उत्पन्न हो रही है, क्योंकि अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की कीमतें अब प्रतिस्पर्धी नहीं रह गई हैं l अप्रैल 2025 में भारत ने घरेलू उत्पादकों की रक्षा के लिए 12% का अस्थायी सुरक्षात्मक शुल्क लगाया था, लेकिन फिर भी आयात में वृद्धि देखी जा रही है।
अप्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में, अन्य देशों से भारत में सस्ते इस्पात का आयात बढ़ रहा है, जो घरेलू उत्पादकों को दबाव में डाल रहा है और उत्पादन में कमी ला रहा है। BCG के अनुमान के अनुसार, ये नए टैरिफ 50 अरब डॉलर की अतिरिक्त लागत जोड़ेंगे, जो मार्च 2025 में लगाए गए 25% टैरिफ के प्रभाव को दोगुना कर देंगे। इसके अलावा, फरवरी 2025 में घोषित 25% टैरिफ ने पहले से ही भारतीय निर्यात को प्रभावित किया था, और अब 50% का स्तर इसे “नाखून की तरह कफन में” बदल देगा l
ट्रक /ट्रेलर परिवहन क्षेत्र के लिए यह स्थिति विशेष रूप से विनाशकारी है। भारतीय लौह एवं इस्पात उद्योग का बड़ा हिस्सा – कच्चे माल की ढुलाई से लेकर तैयार उत्पादों के निर्यात तक – ट्रकों / ट्रेलरों पर निर्भर है। निर्यात में गिरावट और घरेलू उत्पादन में कमी से ट्रक माल ढुलाई में 15-25% की कमी आ सकती है, जिससे लाखों चालकों, मालिकों और श्रमिकों के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है। छोटे ट्रक मालिकों और एमएसएमई स्तर के परिवहनकर्ताओं पर इसका सबसे अधिक असर पड़ेगा, क्योंकि फाउंड्रीज और इस्पात मिलों में उत्पादन घटने से माल परिवहन के ऑर्डर कम हो रहे हैं। ऑटो पार्ट्स, ज्वेलरी और टेक्सटाइल्स जैसे संबंधित क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ेगा, जो ट्रांसपोर्ट सेक्टर को और दबाव में डालेंगे। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव से भारतीय ट्रकिंग सेक्टर की लागत बढ़ रही है, क्योंकि अमेरिकी ट्रक निर्माताओं को भी 50% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, जो अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय निर्यात को प्रभावित करेगा।
राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) के अध्यक्ष डॉ राजकुमार यादव ने कहा, “अमेरिकी टैरिफ न केवल लौह उद्योग को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि इससे जुड़े परिवहन क्षेत्र को भी गहरे संकट में डाल रहा है। राष्ट्रीय मुद्दों पर हम किसी भी तरह का समझौता नहीं कर सकते ना ही राष्ट्र को कहीं झुकने देने का काम करेंगे, हम एकजुट हैं राष्ट्र के सम्मान के प्रति, राष्ट्र के सम्मान व स्वाभिमान में कोई समझौता नहीं होगा किंतु व्यापारीक गतिविधियों में यदि किसी तरह का प्रावधान निकल सके या सम्मान की रक्षा करते हुए यदि कोई समझौता हो सके तो इसे करना वर्तमान परिस्थिति में राष्ट्र की प्राथमिकता होनी चाहिए हम सरकार से मांग करते हैं कि द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से टैरिफ में छूट प्राप्त की जाए, घरेलू इस्पात उत्पादकों को सब्सिडी और वित्तीय सहायता दी जाए, तथा परिवहन क्षेत्र के लिए विशेष राहत पैकेज घोषित किया जाए जिसमें ईंधन सब्सिडी, ऋण राहत और रोजगार संरक्षण शामिल हों। यदि आवश्यक हो, तो अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधी टैरिफ लगाकर भारतीय हितों की रक्षा की जाए।”
हम सभी हितधारकों – उद्योग संघों, श्रमिक संगठनों और नीति निर्माताओं – से अपील करते हैं कि इस मुद्दे पर एकजुट हों और सरकार को मजबूत नीतियां अपनाने के लिए प्रेरित करें। यह संकट न केवल आर्थिक है, बल्कि सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए लाखों परिवारों की आजीविका से जुड़ा है।