राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा पर एनसीपी बिहार के रंजन प्रियदर्शी का तंज: “टिकट चाहने वालों की भीड़, कोई असर नहीं”

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बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने सियासी माहौल को गरमा दिया है। इस यात्रा को लेकर राकांपा (एनसीपी) बिहार के मीडिया प्रमुख रंजन प्रियदर्शी ने तीखा तंज कसा है। उन्होंने इस यात्रा को “सिर्फ टिकट चाहने वालों की भीड़” करार देते हुए कहा कि इसका बिहार की जनता पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है।प्रियदर्शी ने अपने बयान में कहा, “राहुल गांधी की यह वोटर अधिकार यात्रा कोई जनआंदोलन नहीं है। यह सिर्फ उन नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा है, जो आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट पाने की जुगत में लगे हैं। बिहार की जनता समझदार है और वह ऐसे दिखावटी प्रयासों से प्रभावित नहीं होगी।” उन्होंने आगे जोड़ा कि बिहार के मतदाता जागरूक हैं और वे विकास, रोजगार और स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रखकर वोट देते हैं, न कि ऐसी यात्राओं के प्रचार से प्रभावित होते हैं।उन्होंने यात्रा के उद्देश्य पर भी सवाल उठाए और इसे सियासी नाटक बताया। प्रियदर्शी के मुताबिक, “कांग्रेस इस यात्रा के जरिए वोटरों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के नाम पर ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठाकर वे जनता में भ्रम पैदा करना चाहते हैं, लेकिन बिहार की जनता उनकी इस रणनीति को भली-भांति समझ चुकी है।” उन्होंने दावा किया कि एनसीपी बिहार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए तैयार है और वह विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ेगी।प्रियदर्शी ने इस बात पर भी जोर दिया कि राहुल गांधी की यह यात्रा केवल सियासी शोर मचाने का एक जरिया है, जिसका जमीनी स्तर पर कोई प्रभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा, “यह यात्रा उन लोगों के लिए एक मंच है, जो कांग्रेस के टिकट के लिए लाइन में हैं। बिहार की जनता ऐसी सियासत को अच्छी तरह पहचानती है और वह इसका जवाब वोट के जरिए देगी।” उनके इस बयान ने बिहार के राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है, जहां विपक्षी दलों के बीच रणनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है।राहुल गांधी की यह यात्रा, जो सासाराम से शुरू होकर पटना में समाप्त होगी, कई जिलों को कवर कर रही है। लेकिन प्रियदर्शी के बयान ने इसकी प्रासंगिकता और प्रभाव पर सवाल खड़े किए हैं। उनके अनुसार, “यह यात्रा सिर्फ कांग्रेस की अंदरूनी सियासत को मजबूत करने का प्रयास है, न कि जनता के हित में कोई ठोस कदम।” अब यह देखना बाकी है कि प्रियदर्शी का यह तंज बिहार के मतदाताओं के बीच कितना असर डालता है और क्या यह यात्रा वाकई सियासी समीकरण बदल पाएगी।

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