निर्माण – उड़ान सुरक्षा पर खतरा, निवेशकों के धन पर प्रश्नचिन्ह और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत पर सवाल

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उफ्तत्सा राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी, जो देश के ट्रक ट्रांसपोर्टरों और सारथियों के हितों की रक्षा करने वाला प्रमुख संगठन है,सम्पूर्ण राष्ट्र में एयरपोर्ट्स के आसपास हो रहे अवैध निर्माणों पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है। यह मुद्दा न केवल राष्ट्रीय उड़ान सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है, बल्कि निवेशकों के करोड़ों रुपये को जोखिम में डालते हुए स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत को भी उजागर करता है। हमारी मांग है कि केंद्र सरकार और संबंधित प्राधिकरण तत्काल कार्रवाई करें, अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करें और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई के तहत सख्त कदम उठाएं।


समस्या का विवरण-भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के नियमों के अनुसार, एयरपोर्ट्स के 20 किलोमीटर के दायरे में कोई भी निर्माण बिना नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) के नहीं किया जा सकता। ऊंची इमारतें विमान नेविगेशन, लैंडिंग और टेकऑफ में बाधा बन सकती हैं, जो हादसों का कारण बन सकती हैं। हाल ही में, जून 2025 में एयर इंडिया की दुर्घटना के बाद जारी किए गए एयरक्राफ्ट (डेमोलिशन ऑफ ऑब्सट्रक्शन) रूल्स, 2025 के तहत, ऊंचाई सीमा का उल्लंघन करने वाली संरचनाओं को 60 दिनों के भीतर ध्वस्त करने का प्रावधान है। फिर भी, देशभर में सैकड़ों अवैध बहुमंजिला इमारतें खड़ी हो रही हैं, जो स्थानीय प्रशासन की मौन सहमति या मिलीभगत को दर्शाती हैं। ये निर्माण न केवल सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हैं, बल्कि निवेशकों को धोखा देकर उनके पैसे को जोखिम में डालते हैं, क्योंकि ऐसे प्रोजेक्ट्स को कभी भी ध्वस्त किया जा सकता है।

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तथ्यात्मक उदाहरण-राउरकेला (ओडिशा): राउरकेला एयरपोर्ट के समीप छेंड कॉलोनी, पानपोस, दांडियापाली और सिविल टाउन क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतों का निर्माण एयरपोर्ट नियमावली का स्पष्ट उल्लंघन है। इन क्षेत्रों में NOC के बिना ऊंची संरचनाएं खड़ी की जा रही हैं, जो उड़ान पथ में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं वहीं एयरपोर्ट के समुचित विकास हेतु जरूरी नियमावली में बाधा उत्पन्न कर सकती है l स्थानीय प्रशासन की चुप्पी से सवाल उठता है कि क्या यह मिलीभगत का परिणाम है? निवेशक इन इमारतों में लाखों रुपये लगा रहे हैं, लेकिन भविष्य में ध्वस्तीकरण की स्थिति में उनका नुकसान अपूरणीय होगा।
अन्य प्रमुख उदाहरण-
नागपुर: डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास 181 इमारतें ऊंचाई नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, जो उड़ान सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।
भुवनेश्वर: जगमारा क्षेत्र में एक अनधिकृत दो-मंजिला मार्केट कॉम्प्लेक्स, जो बिजू पटनायक इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उड़ान पथ पर है, अभी तक ध्वस्त नहीं किया गया है।
मुंबई: एयरपोर्ट के समीप सात संरचनाओं के हिस्सों को ऊंचाई उल्लंघन के कारण हटाया गया, और महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि कार्रवाई जारी रहेगी।
कोलकाता: एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर दायरे में G+8 से ऊंची इमारतों पर प्रतिबंध लगा है, लेकिन 700 से अधिक इमारतें नियमों का उल्लंघन कर रही हैं।
लखनऊ: एयरपोर्ट के पास सात अवैध रूफटॉप संरचनाएं ध्वस्त की गईं, साथ ही नो-कंस्ट्रक्शन जोन में मोबाइल टावर और अन्य निर्माण पाए गए।
नोएडा (जेवर एयरपोर्ट): 10 किलोमीटर दायरे में अवैध निर्माणों पर प्रतिबंध है, और बिना NOC के प्रोजेक्ट्स को चेतावनी दी गई है।
ये उदाहरण दर्शाते हैं कि समस्या देशव्यापी है। स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता से निवेशक धोखे का शिकार हो रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर लगी है।
हमारी मांगें:केंद्र सरकार तत्काल एक राष्ट्रीय जांच समिति गठित करे और सभी एयरपोर्ट्स के 20 किलोमीटर दायरे में अवैध निर्माणों की जांच कराए।
राउरकेला सहित सभी उल्लिखित क्षेत्रों में NOC उल्लंघनों की जांच हो और दोषी बिल्डरों के साथ ही साथ संलग्न अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए।
निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए अवैध प्रोजेक्ट्स में लगे धन की वापसी सुनिश्चित की जाए।
नए नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए, और बुलडोजर कार्रवाई के माध्यम से अवैध संरचनाओं को ध्वस्त किया जाए।
उफ्तत्सा राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा इस मुद्दे पर जन जागरूकता अभियान चलाएगा और आवश्यकता पड़ने पर कानूनी कार्रवाई करेगा। हम सभी नागरिकों, ट्रांसपोर्टरों और निवेशकों से अपील करते हैं कि वे सभी इस मुद्दे पर एकजुट हों।

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