
नई दिल्ली 06/10/2025, : उफ्तत्सा राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजकुमार यादव ने परिवहन मंत्रालय (MoRTH) द्वारा हाल ही में जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि यह नियम ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लाखों ड्राइवरों, ऑपरेटर्स और छोटे व्यवसायियों की आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित करेंगे। यह ड्राफ्ट, जो मोटर व्हीकल रूल्स में संशोधन का प्रस्ताव करता है, चालान प्रक्रिया को अधिक सख्त बनाने का दावा करता है, लेकिन वास्तव में यह आम आदमी पर अनावश्यक बोझ डालने वाला है। डॉ. यादव ने विभिन्न पहलुओं से इसकी आलोचना करते हुए सरकार से तत्काल पुनर्विचार की मांग की है।
“उफ्तत्सा” “राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा,(ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) जो ट्रक ट्रांसपोर्टर्स और सारथी के एकमात्र हितकारी संगठन के रूप में जाना जाता है, देशभर में ट्रांसपोर्ट सेक्टर के हितों की रक्षा करने वाला एक प्रमुख संगठन है। डॉ. यादव ने इस ड्राफ्ट को “ट्रांसपोर्टर्स के खिलाफ एकतरफा हमला” करार दिया और कहा कि यह नियम लागू होने से पहले स्टेकहोल्डर्स से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया। नीचे विभिन्न पहलुओं से इस विरोध की विस्तृत व्याख्या दी गई है:
- आर्थिक प्रभाव: ट्रांसपोर्टर्स पर अनावश्यक बोझ
ट्रक ट्रांसपोर्ट सेक्टर पहले से ही महंगाई, ईंधन की बढ़ती कीमतों और टोल शुल्कों से जूझ रहा है। नए नियमों के तहत, चालान का भुगतान या चुनौती देने की समयसीमा 45 दिनों तक सीमित कर दी गई है, और अनपेड चालान पर वाहन या लाइसेंस को “Not to be Transacted” फ्लैग कर दिया जाएगा। इससे RTO में रिन्यूअल या अन्य ट्रांजेक्शन रुक जाएंगे। डॉ. यादव ने कहा, “ट्रक ड्राइवरों और ऑपरेटर्स की कम आय को देखते हुए, यह नियम उन्हें आर्थिक रूप से पंगु बना देगा। एक छोटा चालान भी अनपेड रहने पर वाहन का संचालन रुक सकता है, जिससे रोजगार छिन जाएगा।” संगठन के अनुमान के अनुसार, देशभर में लाखों ट्रक ऑपरेटर्स इससे प्रभावित होंगे, खासकर ग्रामीण और छोटे शहरों में जहां डिजिटल पहुंच सीमित है। - प्रक्रियागत और व्यावहारिक चुनौतियां: डिजिटल विभाजन को बढ़ावा
ड्राफ्ट में डिजिटल चालान की वैधता केवल 3 दिनों तक और फिजिकल की 15 दिनों तक रखी गई है। साथ ही, हर 15 दिनों में रिमाइंडर भेजने का प्रावधान है, लेकिन डॉ. यादव ने इसे अव्यावहारिक बताया। “अधिकांश ट्रक ड्राइवर लंबी दूरी की यात्राओं पर रहते हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क या इंटरनेट की पहुंच नहीं होती। Vahan और Sarathi पोर्टल पर निर्भरता ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल डिवाइड को बढ़ाएगी।” उन्होंने उदाहरण दिया कि राउरकेला जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में ट्रांसपोर्टर्स पहले से ही सामग्री चोरी और लॉजिस्टिक्स समस्याओं से जूझ रहे हैं; ऐसे में चालान प्रक्रिया का सख्तीकरण उनकी मुश्किलें दोगुनी कर देगा। चालान कैंसिलेशन के लिए कारण रिकॉर्ड करने का प्रावधान अच्छा है, लेकिन यह अधिकारियों के दुरुपयोग को भी आमंत्रित कर सकता है। - कानूनी और अधिकारों का उल्लंघन: प्राइवेसी और न्याय की अनदेखी
नियमों में 45 दिनों के बाद चालान को डिफॉल्ट रूप से स्वीकार मान लेना और विवाद की गुंजाइश खत्म करना मौलिक अधिकारों का हनन है। डॉ. यादव ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा, “यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। क्या हर व्यक्ति को अपनी सफाई देने का अधिकार नहीं? एक्सीडेंट के मामलों में 3 दिनों के अंदर चालान जारी करने का प्रावधान अनट्रेसेबल मालिकों के लिए समस्या पैदा करेगा।” संगठन का मानना है कि यह नियम पुलिस और अधिकारियों को अधिक शक्ति देगा, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ सकता है। साथ ही, यूनिफॉर्म में अधिकृत व्यक्ति द्वारा चालान जारी करने का नियम अच्छा है, लेकिन ग्रामीण सड़कों पर इसका पालन मुश्किल होगा। - पर्यावरण और सेक्टर-विशिष्ट प्रभाव: ट्रांसपोर्ट इकोसिस्टम का असंतुलन
ट्रांसपोर्ट सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, लेकिन नए नियम ईंधन मिश्रण (जैसे डीजल में इथेनॉल) जैसी अन्य नीतियों के साथ मिलकर ड्राइवरों को प्रभावित करेंगे। डॉ. यादव ने हाल की रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि इथेनॉल ब्लेंडेड ईंधन से इंजन डैमेज हो रहा है, जिससे इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो रहे हैं। “चालान नियमों का सख्तीकरण ऐसे समय में आया है जब सेक्टर पहले से दबाव में है। यह निर्माण और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में रेत-बजरी जैसे अवैध खेलों को रोकने की बजाय वैध ऑपरेटर्स को निशाना बनाएगा।” संगठन मांग करता है कि केंद्र सरकार सीबीआई जैसी एजेंसियों से जांच कराए, लेकिन चालान नियमों को लचीला बनाए।
डॉ. राजकुमार यादव ने अंत में कहा, “उफ्तत्सा” “राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा” (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) इस ड्राफ्ट के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू करेगा। हम सरकार से अपील करते हैं कि स्टेकहोल्डर्स से चर्चा कर नियमों में संशोधन करें, अन्यथा ट्रांसपोर्ट सेक्टर ठप हो सकता है।” संगठन ने पब्लिक फीडबैक की 30 दिनों की अवधि का उपयोग करते हुए अपनी आपत्तियां दर्ज कराने की योजना बनाई है। अधिक जानकारी के लिए MoRTH की वेबसाइट या egazette.gov.in देखें।