बिना रॉयल्टी जंगल की मिट्टी की खुली लूट व बेधड़क पेड़ कटाई : राउरकेला रेलवे प्रोजेक्ट में सैकड़ों ट्रिप अवैध आपूर्ति, एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष की सरकारी अधिकारीयों व कर्मचारियों की मिलीभगत पर चिंता

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राउरकेला, 19 अक्टूबर 2025 (विशेष संवाददाता): ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में रेलवे के महत्वाकांक्षी ट्रैक निर्माण प्रोजेक्ट के नाम पर जंगलों की मिट्टी की खुलेआम लूट मच रही है। कांसबहाल रेलवे साइडिंग के निकटवर्ती क्षेत्र में बिना किसी रॉयल्टी या अनुमति के सैकड़ों ट्रिप मिट्टी की अवैध आपूर्ति का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ओडिशा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजकुमार यादव ने इसे ‘सरकारी अधिकारीयों व कर्मचारियों की मिलीभगत का काला कारनामा’ करार देते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। इस घोटाले से न केवल राज्य का राजस्व करोड़ों में चपत खा रहा है, बल्कि पर्यावरण को अपूरणीय क्षति भी पहुंच रही है—जहां सैकड़ों परिपक्व पेड़ काटे जा चुके हैं और जंगल विभाग की भूमि पर पहाड़ों को चीरकर मिट्टी उजाड़ी जा रही है।
घटनाक्रम: अवैध कार्रवाई का काला अध्याय
यह मामला 2025 की शुरुआत से ही सुर्खियां बटोर रहा है जब विभिन्न निर्माण हेतु राजगंगपुर तहसील के अन्तर्गत कांशबहाल क्षेत्र से पत्थर खनन के साथ अवैध रूप से पहाड़ काटकर मिट्टी आपूर्ति की गई मामला तब गंभीर हुआ जब रेल प्रकल्प के लिए कार्यस्थल से मात्र तीन किलोमीटर दूर जंगल विभाग की संरक्षित भूमि पर अवैध खुदाई का सिलसिला जोरदार तरीके से जारी हो गया। डॉ. यादव के अनुसार, ट्रैक्टर, हाइवा और डंपरों के काफिले दिन-रात जंगल के पहाड़ों को काटकर मिट्टी लोड कर रहे हैं, जो सीधे रेलवे साइट पर पहुंचाई जा रही है।
समयरेखा इस प्रकार है
अप्रैल 2025: बेधड़क बालूरघाट से बिना नियम व बिना ट्रांजिट परमिट के लाखों टन रेत विभिन्न घाटों से विभिन्न गंतव्य तक पहुंच गए l टोलबूथों की जांच करने पर इस रहस्य से पर्दा उठ सकता है l
जून-जुलाई 2025: रेलवे साइट पर मिट्टी की मांग बढ़ी। जंगल विभाग की 200 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर अवैध खुदाई शुरू, जहां सैकड़ों ट्रिप (प्रति ट्रिप औसतन 10-15 क्यूबिक मीटर मिट्टी) रोजाना सप्लाई हो रही है। अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 50,000 क्यूबिक मीटर से अधिक मिट्टी अवैध रूप से हटाई जा चुकी है।
सितंबर 2025: एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. यादव को वीभिन्न सूत्रों व स्थानीय लोगों से इस बात की जानकारी मिली व आरोप लगाया गया कि यह कार्य बिना रॉयल्टी व बिना किसी अनुमति के हो रहा है, जिससे राज्य को प्रति क्यूबिक मीटर 50-100 रुपये की हानि हो रही है—कुल मिलाकर 25-50 लाख रुपये का राजस्व घाटा एवं जंगल नियमावली की धज्जियाँ उड़ी वह अलग
अक्टूबर 2025 (वर्तमान): अवैध सप्लाई जारी। राउरकेला पुलिस ने जून 2020 में इसी तरह के अवैध रेत सैया पर कार्रवाई का दावा किया था, लेकिन राउरकेला व सुंदरगढ़ पुलिस द्वारा फिर वही ढुल्लमुल रवैया।
प्रभावशाली आंकड़े के अनुसार पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर जबरदस्त प्रहार – यह अवैध कार्रवाई केवल स्थानीय स्तर की समस्या नहीं, बल्कि ओडिशा के समग्र पर्यावरणीय संकट का प्रतीक है। सुंदरगढ़ जिले, जो राज्य के 30% से अधिक लौह अयस्क भंडार का घर है, पहले से ही अवैध खनन से जूझ रहा है। यहां कुछ चौंकाने वाले आंकड़े हैं जो इस लूट के पैमाने को उजागर करते हैं- पर्यावरणीय क्षति के अंतर्गत अवैध मिट्टी खुदाई से जंगल क्षेत्र में 15-20% मृदा क्षरण हुआ है, जिससे मिट्टी में भारी धातुओं (जैसे एल्यूमीनियम, क्रोमियम और कैडमियम) की सांद्रता 2-3 गुना बढ़ गई है। ओडिशा में खनन गतिविधियों से प्रति वर्ष 500 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि नष्ट हो रही है, जिसमें सुंदरगढ़ का योगदान 40% है। इस मामले में कटे पेड़ों की संख्या 500 से अधिक अनुमानित है, जो कार्बन अवशोषण को 20-25 टन प्रति वर्ष कम कर देगा—जंगल के फेफड़ों पर सीधा वार।
आर्थिक नुकसान को आंके तो बिना रॉयल्टी की यह लूट राज्य के खनन राजस्व को 200 करोड़ रुपये सालाना प्रभावित कर रही है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे प्रोजेक्ट्स में अवैध मिट्टी निकासी से ओडिशा को 50 करोड़ का अतिरिक्त घाटा हुआ था। वर्तमान मामले में, यदि सप्लाई 100 ट्रिप प्रतिदिन जारी रही, तो अगले तीन माह में 1 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी हट जाएगी, जिसकी बाजार मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक होगी—संपूर्ण रूप से सरकारी खजाने पर डाका।
सामाजिक प्रभाव के आईने से स्थानीय निवासी व अन्य समुदाय, जो जंगल पर निर्भर हैं, बेरोजगार हो रहे हैं। मिट्टी क्षरण से जल स्रोत प्रदूषित हो गए हैं, जिससे 10,000 से अधिक परिवारों को पीने के पानी की समस्या हो रही है। अप्रैल 2025 में ब्रह्मणी नदी से अवैध रेत निकासी के मामले में प्रतिदिन 9,000 क्यूबिक मीटर सामग्री हटाई जा रही थी, जो मिट्टी लूट के समान ही विनाशकारी है।
डॉ. राजकुमार यादव ने कहा, “सरकारी अधिकारियों व कर्मचारी के मिलीभगत के बिना इस स्तर का अवैध कार्य संभव कतई नहीं। खनन, वन और राजस्व अधिकारीयों ने मौन स्वीकृति के तहत आंखें मूंद रखी हैं।” उन्होंने मांग की है कि सभी संलिप्त वाहनों के लाइसेंस रद्द किए जाएं, जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हो, और विभागीय जांच के अलावा एनजीटी स्तर पर भी जांच हो। तहसीलदार राजगांगपुर ने मामले से अनभिज्ञता जताई, जबकि संलग्न राजस्व निरीक्षक ने शिकायत के बाद फोन भी उठाना बंद कर दिया। डीएफओ राउरकेला ने स्थान की जानकारी न होने का बहाना बनाया, और खनन अधिकारी राउरकेला ने जांच का आश्वासन देकर संपर्क तोड़ लिया।
राज्य सरकार ने अप्रैल 2025 में सुंदरगढ़ में अवैध खनन पर प्रोब का आदेश दिया था, लेकिन क्रियान्वयन शून्य। एनसीपी ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई न हुई, तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा बल्कि नई दिल्ली के जंतरमंतर पर भी धरना दिया जाएगा
जंगल बचाओ, कानून जगाओ के तहत यह घटना ओडिशा के विकास मॉडल की पोल खोल रही है बल्कि बीते सरकार के अफसर द्वारा इस सरकार को बदनाम करने की साजिश का भी पर्दाफाश कर रही है जहां रेलवे जैसी बुनियादी परियोजनाएं पर्यावरण की बलि चढ़ा रही हैं। अवैध मिट्टी लूट न केवल राजस्व चोरी है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरणीय आपदा का बीज बो रही है। प्रशासन को अब चुप्पी तोड़नी होगी—वरना, जंगल की पुकार अनसुनी रह जाएगी। एनजीटी की 2025 की रिपोर्ट्स स्पष्ट चेतावनी देती हैं कि ऐसे मामलों में सख्ती ही एकमात्र समाधान है किंतु निद्रासिन अफसरों को समझाएं कौन? राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी “जल जंगल जमीन” को बचाने की अपनी मुहिम से कदापि पीछे नहीं हटेगी और संलिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों पर उचित कार्रवाई हेतु मांग पर अड़ी रहेगी l

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