राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) “उफ्तत्सा” द्वारा जीएसटी नियमावली, इनपुट घोटाला और भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन व आंदोलन

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स्थान: राष्ट्रीय स्तर, विशेष रूप से राउरकेला (ओड़िशा), मुंगेर (बिहार), सिरसा, कुलां,कैथल,जींद,और हिसार व अन्य (हरियाणा),भिलाई, रायपूर ( छत्तीसगढ़) और हनुमानगढ़ (राजस्थान)

विषय: त्रिस्तरीय जीएसटी के नकारात्मक प्रभाव और परिवहन क्षेत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ सिंगल मोटर मालिकों का आंदोलन

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राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) उफ्तत्सा (United Front for Transport and Sarthi Associations- UFTTSA) ने सिंगल मोटर मालिकों और परिवहन क्षेत्र के हितधारकों के हक में त्रिस्तरीय जीएसटी (CGST, SGST, IGST) प्रणाली के दुष्प्रभावों और चेक पोस्टों पर हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन और विरोध प्रदर्शन जारी है व संघर्ष लगातार जारी रखने की बात की है। यह प्रेस नोट इन्हीं संदर्भ है और जड़ित समस्याओं का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करता है।

त्रिस्तरीय जीएसटी का सिंगल मोटर मालिकों पर प्रभाव
भारत में 1 जुलाई 2017 को लागू जीएसटी ने परिवहन क्षेत्र, विशेष रूप से सिंगल मोटर मालिकों (जो एक या कुछ ट्रकों के मालिक हैं और छोटे पैमाने पर परिवहन व्यवसाय चलाते हैं) पर गहरा प्रभाव डाला है। निम्नलिखित प्रमुख समस्याएँ सामने आई हैं:

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जटिल अनुपालन और लागत : जीएसटी के तहत मासिक/तिमाही रिटर्न (GSTR-1, GSTR-3B) और ई-वे बिल जनरेट करने की अनिवार्यता ने सिंगल मोटर मालिकों पर आर्थिक और तकनीकी बोझ बढ़ाया है। अधिकांश मालिक डिजिटल साक्षर नहीं हैं और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पर निर्भर रहते हैं, जिससे उनकी मासिक लागत 2,000-5,000 रुपये तक अतिरिक्त बोझ अनावश्यक रूप से बढ़ जाती है।

उच्च कर दरें: परिवहन सेवाओं पर 12-18-28% जीएसटी दर लागू होती है, जो कम लाभ मार्जिन पर काम करने वाले मोटर मालिकों के लिए बोझिल है। ईंधन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) उपलब्ध न होने और पुराने वाहनों की बिक्री पर 18% जीएसटी ने उनकी आर्थिक स्थिति को और भी कमजोर किया है।

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बड़े कॉरपोरेट्स व व्यवसाईयों का दबदबा : ई-कॉमर्स और बड़ी लॉजिस्टिक्स कंपनियाँ (जैसे अमेज़न, फ्लिपकार्ट, डिलीवरी) कम भाड़ा दरें थोपती हैं, जिससे सिंगल मोटर मालिक प्रतिस्पर्धा में लगातार पिछड़ रहे हैं। जीएसटी अनुपालन के लिए बड़े कॉरपोरेट्स के पास संसाधन हैं जिससे व इनपुट का लाभ लगातार लेते हुए छोटे मालिकों के लिए अकाट्य प्रतिस्पर्धा ख़डी कर रहे हैँ,क्योंकि छोटे गाड़ी मालिकों के पास इनपुट लेने की राह असम्भव सी है l

आर्थिक संकट: जीएसटी की लागत, उच्च ईंधन और टोल शुल्क (10,000-20,000 रुपये प्रति अंतर-राज्यीय यात्रा), और कम मांग के कारण कई मोटर मालिक कर्ज में डूब गए हैं, उनकी गाड़ियां या तो वित्तीय कम्पनीयों द्वारा खिंच ली गयी हैँ या वे व्यवसाय बंद करने को मजबूर हुए हैं।

भ्रष्टाचार का मुद्दा :
परिवहन क्षेत्र में भ्रष्टाचार सिंगल मोटर मालिकों के लिए एक गंभीर समस्या है।

प्रमुख बिंदु:

चेक पोस्टों पर अनुचित वसूली: जीएसटी और परिवहन नियमों के नाम पर फर्जी तरीके से परिवहन विभाग व पुलिस द्वारा चेक पोस्टों पर मोटर मालिकों से 1,200-3,000 रुपये प्रतिदिन की अवैध वसूली की जा रही है। गलत या अधूरे ई-वे बिल के लिए 20,000-3,00,000 रुपये या उससे अधिक तक का दंड लगाया जाता है। देश में कई ढाबों व पेट्रोल पम्प पर जीएसटी विभाग द्वारा जब्त गाड़ियां महिनो से ख़डी हैँ-वैसे सरकारी गंत्वयों के बजाय गैर सरकारी स्थानों पर जब्त ख़डी गाड़ियों का खड़ा होना कई सवाल उत्पन्न करता है l

मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़, पश्चिमबंगाल में विशेष भ्रष्टाचार: राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा ने मध्य प्रदेश जीएसटी विभाग पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें छोटे मालिकों को रिश्वत के लिए बिच सड़क परेशान किया जाता है।पश्चिम बंगाल में डंडा टैक्स व मेकेनिकल एंव अन्य वसुली मोटर मालिकों के गले का फांस बन चूका है l

उफ्तत्सा द्वारा विरोध प्रदर्शन और आंदोलन
राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) उफ्तत्सा ने सिंगल मोटर मालिकों की समस्याओं को संबोधित करने के लिए देशभर में कई विरोध प्रदर्शन और आंदोलन लगातार आयोजित किए हैं।

प्रमुख मांगें –

परिवहन संबंधित जीएसटी दरों को सीधे 5% तक किया जाए एवं इसका सरलीकरण कर, सिंगल विंडो सिस्टम के तहत सीधे मोटर मालिक द्वारा भरे जाने के लायक फॉर्मेट तैयार कर कार्यकारी किया जाये l

वर्षों से लंबीत जीएसटी काउंसिल का शीघ्रता शीघ्र सभी राज्यों में गठन कर कार्यकारी किया जाए l

मोटर मालिकों पर जीएसटी के अंतर्गत सभी लंबित मामलों को माफ़ी योजना के तहत 10% जुर्माने के तहत तुरंत रद्द किया जाए l

गैर सरकारी स्थान व निजी गोदाम में खड़े व जीएसटी द्वारा जब्त किए गए वाहनों को तुरंत रिहा करते हुए संलग्न अधिकारियों को जांच के दायरे में लिया जाए l

नेतृत्व: राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजकुमार यादव,जरनेल सिँह,मंजीत सिँह,हरदीप वढेरा, राधेश्याम मल्लिक, अजय सिंगला,रविंद्र बधानी, नरेश गोछी, बलजीन्द्र सहारन,होशियार सिँह, रामफल जी, मलकित सिँह, राकेश अग्रवाल, मोहम्मद अफ़सर,ब्रजेश जेसवाल, शिवराज यादव, प्रभात शाह,सतकुँवार गर्ग, महेंद्र सिँह, रणवीर सिँह जैसे अन्य सैकड़ों संग्रामी नेताओं व हजारों बंधुओं ने मोटर मालिकों व ट्रांसपोर्टरों एंव सारथी बंधुओं को संगठित होने का सफलतापूर्वक आह्वान किया l

प्रभाव: इस आंदोलन ने बिहार, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, ओड़िशा, झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, पंजाब,छतीसगढ़, मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र में सिंगल मोटर मालिकों को एकजुट करने और उनकी मांगों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका सार्थकता पूर्ण निभाई।

मुख्य गतिविधियाँ:

जागरूकता अभियान, सभाएं और प्रदर्शन।
मांग पत्रों के माध्यम से सरकार पर दबाव।

प्रभाव: इस अभियान ने चेकिंग प्रक्रिया में सुधार के लिए कुछ क्षेत्रों में सरकारी ध्यान आकर्षित किया, विभिन्न राज्यों में चालान माफ़ी,राजकीय टोल का निरस्तरीकरण, सेकड़ों की संख्या में पार्किंग व्यवस्था, परिवहन आयोग पर विधिवत विचार के अलावा मुख्य रूप से पुरे राष्ट्र में सिंगल मोटर मालिक, ट्रांसपोर्टर्स व सारथी बंधुओं की सशक्त आवाज बनने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की l

भविष्य की रणनीति :
उफ्तत्सा ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार इन मांगों को जल्द पूरा नहीं करती, तो सिंगल मोटर मालिकों और परिवहन कर्मियों के साथ मिलकर देशव्यापी आंदोलन तेज किया जाएगा। संगठन ने ट्रक मालिकों से एकजुट होकर आगामी सभी चुनावो में अपनी मांगों को राजनीतिक दबाव के रूप में उपयोग करने का भी आह्वान किया है।

संपर्क: राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) उफ्तत्सा
अध्यक्ष: डॉ. राजकुमार यादव
प्रकाशक: उफ्तत्सा मीडिया सेल
नोट: इस प्रेस नोट में दी गई जानकारी हाल की गतिविधियों और संगठन के बयानों पर आधारित है।

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