
क्योनझर और सुंदरगढ़ जिलों के प्रमुख लौह अयस्क खनन क्षेत्रों – कोइड़ा, टेनसा, जोड़ा, रुगड़ी और भद्राशाही – में ट्रक-आधारित परिवहन व्यवसाय गंभीर संकट का सामना कर रहा है। “उफ्तत्सा” राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजकुमार यादव ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। उनके अनुसार, स्लरी पाइपलाइन, कॉरपोरेट लोजिस्टिक्स कंपनियों का प्रवेश, कुछ लोगों द्वारा परिवहन ठेकों पर कब्जा, और रेलवे परियोजनाओं के बढ़ते उपयोग ने स्थानीय ट्रकों की मांग को काफी कम कर दिया है। इससे हजारों ट्रक मालिकों और चालकों की आजीविका खतरे में पड़ गई है, जिसका असर क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है।ट्रक मालिकों की समस्याओं के प्रमुख कारणों में खराब सड़कें, ट्रक मालिक संघों के बीच आपसी विवाद, उत्पादन कैपिंग, और पिछली सरकार की वसूली-आधारित नीतियां शामिल हैं। अप्रैल 2025 में ट्रक मालिक संघों ने स्लरी पाइपलाइन बिछाने के कार्य को रोक दिया था, क्योंकि यह हजारों ट्रकों की रोजी-रोटी के लिए खतरा बन गया है। मार्च 2024 में रेलवे परियोजना के खिलाफ 24 घंटे का बंद भी आयोजित किया गया था। इसके अलावा, खराब सड़कों, बिना उचित दस्तावेजों के कॉरपोरेट लोजिस्टिक्स कंपनियों के ट्रकों का संचालन, और धूल प्रदूषण से होने वाली दुर्घटनाएं व स्वास्थ्य समस्याएं स्थिति को और गंभीर बना रही हैं।ट्रक चालकों की स्थिति भी अत्यंत दयनीय है। दिसंबर 2023 में “उफ्तत्सा” के नेतृत्व में हुई अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी हड़ताल ने क्योनझर और सुंदरगढ़ में ढुलाई को लगभग ठप कर दिया था। यह हड़ताल पुलिस उत्पीड़न, सुविधाओं की कमी, और रोजगार असुरक्षा जैसे मुद्दों को लेकर थी। राजमार्गों पर विश्राम गृह और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव चालकों की परेशानी बढ़ा रहा है। हालांकि, “उफ्तत्सा” की पहल पर सड़क परिवहन मंत्रालय के तहत “एनएचएलएम” द्वारा ओडिशा के कई हिस्सों में सुविधाओं के लिए टेंडर जारी किए गए हैं, जिसके लिए संगठन ने आभार व्यक्त किया है।“उफ्तत्सा” की प्रमुख मांगें:
- ऑनलाइन चालान तत्काल बंद करने और बिना विशेष कारण के पुलिस को वाहन जांच का अधिकार रद्द करना।
- 60 वर्ष से अधिक आयु के ट्रक मालिकों और चालकों के लिए 25,000 रुपये की पेंशन।
- दुर्घटना में मृत्यु पर 1 करोड़ रुपये का सरकारी बीमा कवरेज।
- खदानों में 80% नौकरियां स्थानीय चालकों के लिए आरक्षित करना।
- प्रत्येक 100 किमी पर राजमार्गों पर विश्राम गृह, शौचालय, और मुफ्त पार्किंग सुविधाएं।
- 1 सितंबर को राष्ट्रीय चालक दिवस घोषित करना।
- चालकों पर हमलों से सुरक्षा के लिए सख्त कानून।
- टोल बूथों पर समुचित सुविधाएं और 70% टोल दरों में कमी।
- वित्तीय कंपनियों द्वारा बिना अदालती आदेश के गाड़ियां जब्त करने पर रोक।
- निर्माणाधीन टोलवे पर टोल वसूली बंद करना।
- 4% ब्याज दर पर सब्सिडी के तहत वित्त प्रदान करना।
- “परिवहन आयोग” का तत्काल गठन।
डॉ. राजकुमार यादव ने कहा, “हमारी मांगें संवैधानिक और न्यायसंगत हैं। सरकार को ट्रक मालिकों और चालकों की दयनीय स्थिति पर ध्यान देना चाहिए, अन्यथा हमारा संघर्ष जारी रहेगा।” उन्होंने सरकार से वैकल्पिक रोजगार, सब्सिडी, और ठोस नीतियों के माध्यम से इस संकट का समाधान करने की अपील की है।यदि इन मुद्दों का शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था और लाखों परिवारों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। स्थानीय ट्रक मालिक संघ फ्रेट रेट बढ़ाने, पाइपलाइन/रेल और कॉरपोरेट लोजिस्टिक्स कंपनियों पर रोक, और सड़क सुधार की मांग कर रहे हैं।