
ओडिशा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यों में निर्माण विभाग के अधीन ठेकेदारों व अधिकारीयों द्वारा रेत व बजरी के रॉयल्टी पेपर्स एवं संलग्न जीएसटी में बड़े पैमाने पर घोटाला – विभागीय तालमेल से अरबों रुपये की हानि
नई दिल्ली-“उफ्तत्सा” राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजकुमार यादव की ओर से जारी यह प्रेस विज्ञप्ति विभिन्न राज्यों में रेत और बजरी खनन में हो रहे बड़े घोटाले को उजागर करती है। ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी के रूप में हमारी संस्था लंबे समय से परिवहन क्षेत्र में कार्यरत है और निर्माण सामग्री के परिवहन में ठेकेदारों एवं सरकारी विभागों के बीच हो रही अनियमितताओं को देख रही है। यह घोटाला न केवल राज्यों की राजस्व हानि का कारण बन रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर क्षति पहुंचा रहा है वहीं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) भी आंखें मूंदकर तमाशा देखने का कार्य कर रही है l हमारी जांच और उपलब्ध तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि निर्माण विभाग के अधीन ठेकेदार रॉयल्टी पेपर्स में हेरफेर,प्रयुक्त किये गए समानों की जीएसटी चोरी व एक बील के जीएसटी कई और कार्यदेश में दिखाकर भुगतान लेना और अवैध खनन के माध्यम से अरबों रुपये का घोटाला लगातार बेधड़क कर रहे हैं, सभी रेत खनन क्षेत्र बजरी खनन क्षेत्र व अन्य खनन की जीपीएस द्वारा स्वतंत्रत सर्वे कराई जाए और एक उच्च स्तरीय जांच एजेंसी के द्वारा इसके विभिन्न पहलुओं को खंगाला जाए जिसमें विभागीय अधिकारियों, परिवहन संस्थाओं का सीधा तालमेल शामिल हो l
घोटाले का तथ्यात्मक ब्योरा के तहत रेत और बजरी खनन भारत के कई राज्यों में एक बड़ा उद्योग है, जहां रॉयल्टी राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित की जाती है (उदाहरण के लिए, बिहार में रेत पर प्रति घन मीटर 200-300 रुपये रॉयल्टी) और जीएसटी 5% की दर से लगता है। लेकिन ठेकेदारों द्वारा अवैध तरीके से खनन, कम रिपोर्टिंग और फर्जी बिलिंग के जरिए राजस्व की चोरी की जा रही है। कुल अनुमानित हानि अरबों रुपये में है, जो निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट है –
बिहार में रेत खनन घोटाला मुख्य रूप से जुलाई 2025 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बांका जिले में 131 करोड़ रुपये से अधिक के अवैध रेत खनन घोटाले का खुलासा किया। यहां ठेकेदारों ने रॉयल्टी का भुगतान किए बिना नदियों से रेत निकाला और जीएसटी में चोरी की। ईडी ने राज्य सरकार से नई एफआईआर दर्ज करने की मांग की है, क्योंकि विभागीय अधिकारियों ने अवैध खनन को अनदेखा किया। यह घोटाला 2023 से चल रहा है, जब ईडी ने बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 250 करोड़ रुपये के अवैध खनन की जांच शुरू की थी, जिसमें रेत और बजरी शामिल थे। ठेकेदारों ने फर्जी परमिट और कम मात्रा प्रयुक्त कर दिखाकर रॉयल्टी बचाई, जबकि वास्तविक खनन कई गुना अधिक था जो आज भी बेधड़क जारी है l
झारखंड में जीएसटी और रॉयल्टी चोरी में विशेषरूप से जून 2025 में सीबीआई ने बिहार और झारखंड में 100 करोड़ रुपये के जीएसटी फ्रॉड पर छापेमारी की। हालांकि यह मुख्य रूप से टाइल्स और ऑटो पार्ट्स से जुड़ा था, लेकिन जांच में खनन क्षेत्र में समान पैटर्न ही पाया गया, जहां रेत और बजरी के ठेकेदार फर्जी इनवॉयस से जीएसटी चोरी कर रहे हैं। ईडी की 2023 की जांच में झारखंड में 250 करोड़ के अवैध खनन का खुलासा हुआ, जिसमें निर्माण विभाग के अधिकारी शामिल थे, जो रॉयल्टी पेपर्स में हेरफेर कर ठेकेदारों को लाभ पहुंचा रहे थे।
ओडिशा में अवैध पत्थर और रेत खनन के तहत अप्रैल 2025 में सीएजी ने ओडिशा में बड़े पैमाने पर अवैध पत्थर चोरी का खुलासा किया, जिसमें रॉयल्टी और जीएसटी की चोरी शामिल थी। मार्च 2021 में जीएसटी अधिकारियों ने भुवनेश्वर में छह खनन कंपनियों पर छापेमारी की, जहां रेत और बजरी के फर्जी बिल पाए गए। ठेकेदारों ने अनुमति से कई गुना अधिक खनन किया और विभागीय तालमेल से रॉयल्टी कम दिखाई।आज भी सुंदरगढ़ जिले में अवैध रूप से सोलह नम्बर घाट, कुतरा, कंसर व अन्य रेत खनन व गुरुंडिया, सुंदरगढ़,सागजोर, राजगाँगपुर, कुआरमुंडा में बजरी खनन का कार्य बदस्तूर जारी है मुख्य रूप से ब्लास्टिंग पदार्थ की जांच करने पर भी कुछ हद तक नियंत्रण में लाई जा सकती है l विभिन्न टोलबूथों पर आवाजाही की जांच करने से अवैध रेत व बजरी की ढूलाई का सारा खाका खुलकर बाहर आ जाएगा व इससे जुड़े गाड़ियों को जब्त कर झारखंड की तर्ज पर नीलामी का प्रावधान होना चाहिए l अनुमानित हानि सैकड़ों करोड़ में है, जो विभिन्न खबर स्रोतों में वर्णित ओडिशा माइनिंग स्कैम से जुड़ी है, जहां रॉयल्टी 1948 से अपडेट नहीं की गई।
छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यों में समान पैटर्न के अनुसार छत्तीसगढ़ में रेत खनन माफिया सक्रिय है, जहां ठेकेदार रॉयल्टी पेपर्स फर्जी बनाकर जीएसटी चोरी कर रहे हैं। 2023-2025 के बीच ईडी की जांच में पश्चिम बंगाल के साथ छत्तीसगढ़ को भी शामिल किया गया। उत्तर प्रदेश में 1100 करोड़ से अधिक की जीएसटी चोरी का खुलासा हुआ, मुख्य रूप से खनन और रियल एस्टेट सेक्टर में। मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन राजनीतिक विवाद का विषय रहा, जहां ठेकेदारों ने रॉयल्टी कम चुकाकर अरबों की चोरी की।
विभिन्न घटनाक्रम का क्रम:
2021-2023: जीएसटी अधिकारियों ने ओडिशा में खनन कंपनियों पर छापेमारी शुरू की, फर्जी बिलिंग उजागर हुई। बिहार-झारखंड में अवैध रेत खनन बढ़ा, माफिया ने विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत की।
जून 2023: ईडी ने बिहार, झारखंड में 250 करोड़ के अवैध खनन पर छापेमारी की, रॉयल्टी और जीएसटी चोरी पकड़ी गई।
2024: तमिलनाडु में समान घोटाले का खुलासा, लेकिन पैटर्न बिहार-ओडिशा से मिलता-जुलता।
जून 2025: सीबीआई की छापेमारी में 100 करोड़ जीएसटी फ्रॉड उजागर, खनन से जुड़े लिंक।
जुलाई 2025: ईडी ने बिहार में 131 करोड़ रेत घोटाले की रिपोर्ट दी, नई जांच की मांग।
सटीक आंकड़े:
कुल अनुमानित घोटाला: 1000-5000 करोड़ रुपये (बिहार: 131+250 करोड़, झारखंड: 250+100 करोड़, ओडिशा: सैकड़ों करोड़, छत्तीसगढ़: समान पैटर्न)।
रॉयल्टी चोरी: अनुमति से 10 गुना अधिक खनन, प्रति राज्य 50-100 करोड़ हानि वार्षिक।
जीएसटी चोरी: फर्जी इनवॉयस से 18-28% रिफंड क्लेम, कुल 1100 करोड़ यूपी में, समान अन्य राज्यों में।
पर्यावरण क्षति: नदियों का कटाव, बाढ़ जोखिम बढ़ा।
यह घोटाला विभागीय तालमेल से चल रहा है, जहां अधिकारी ठेकेदारों को फर्जी पेपर्स जारी करते हैं। “उफ्तत्सा” राष्ट्रीय संयुक्त मोर्चा (ट्रक ट्रांसपोर्ट सारथी) मांग करता है कि केंद्र सरकार सीबीआई सहित अन्य एजेंसियों से जांच कराए, दोषियों पर कार्रवाई हो और ट्रक ट्रांसपोर्टरों को वैध परिवहन के पृष्ठभूमि सुनिश्चित किया जाए। हम ट्रांसपोर्टरों के हित में लड़ाई जारी रखेंगे।